सभी पहाड़ एक से नहीं होते .....कुछ ऊचे तो कुछ कम लम्बे होते हैं ....कुछ हरे भरे और कुछ...... कुछ उजड़े ...कुछ हमेशा ...हर मौसम में एक से ही रहते हैं ....
कुछ पहाड़ रंग भी बदलते हैं ...जैसे जैसे आसमान की चमकती गेंद पाला बदलती है वैसे ही ये भी बदल जाते हैं ....
सभी पहाड़ दूसरी तरफ गुजरने की इजाज़त नहीं देते .....जैसे हुकूमत करते हैं ......
हाँ ! कुछ पहाड़ों में मोड़ भरे छोटे ....लेकिन टेढ़े -मेढ़े रास्ते होते हैं ...गुज़रते समय डर का एहसास करवाते हैं ...ये ... ।
हाँ ! कुछ पहाड़ों में मोड़ भरे छोटे ....लेकिन टेढ़े -मेढ़े रास्ते होते हैं ...गुज़रते समय डर का एहसास करवाते हैं ...ये ... ।
सभी पहाड़ सूखे नहीं होते ...घने दरख्तों ....खुशबूदार फूलों और फलों से भरे होते हैं ....
और कुछ हरियाली ओढ़े हुए भी सूखे होते हैं ....
और कुछ हरियाली ओढ़े हुए भी सूखे होते हैं ....
कभी कभी ऐसा लगता है जैसे कुछ पहाड़ शाप भी देते हैं ....
सभी पहाड़ आवाज़ नहीं देते ....कुछ ठंडी पुरवा के साथ ख़ामोशी से कानो के नज़दीक चुपके से कोई पैग़ाम छोड़ जाते हैं
......तो कुछ कोसों .....मीलों दूर से अपने पास बुलाते हैं ....
......तो कुछ कोसों .....मीलों दूर से अपने पास बुलाते हैं ....
हाँ ! सभी पहाड़ एक से नहीं होते .......लेकिन फितरत के लिहाज़ से ..... क्या ये हम जैसे नहीं होते ?
3 टिप्पणियाँ:
तस्वीरें मोहक और स्वर्गिक हैं किन्तु शब्दों ने कई और तस्वीरें बुनी है वे ज्यादा प्रभावित कर रही हैं, सुंदर पोस्ट.
एक जादू सा रच दिया है.मोहक.अदभुत ऐन्द्रिक और आध्यात्मिक अहसास.
आपसे प्रोत्साहान मिलना अपने आप में सकारात्मक उर्जा का संचार होना है .....ज्यादा नहीं कहना है ...बस यही की अभी इन उँगलियों ने महाज़ उस चीज़ को उतारने की कोशिश की है ...जो आस -पास घटते देखा है ... संजय जी से बस यही पूछना है ...क्या ये पोस्ट ऐसी ही है ...जैसी टिपण्णी आपने दी है ...आपने तस्वीरों से अलग उन तस्वीरों को देखा जिन्हें मैं वास्तव में दिखाना चाहती थी.......यानि पोस्ट सफल रही....शुक्रिया ...
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