मंगलवार, 26 मई 2015

मोदी सरकार :केवल वादे या मज़बूत इरादे



लीजिये आज 26 मई का दिन भी आखिर बीत ही गया। पिछले कई हफ़्तों  से मोदी सरकार के 365 दिन पूरे होने का इंतज़ार किस शिद्दत किया जा रहा था ये हम सब देख ही रहे हैं। दर्जनों चर्चाओं, रिपोर्टों और आंकड़ों से हर चैनल ये साबित करने पर तुला हुआ था कि मोदी पास हुए हैं या फ़ेल।  
बुरे दिन बीते हों या नहीं इस बात को इस तरह से समझा जा सकता है जैसे नई- नवेली दुल्हन से घरवालों क्या घर के नौकरों, रिश्तेदारों और आस - पड़ोसियों को भी बहुत सी उम्मीदें होती हैं। लेकिन उन उम्मीदों पर एकाएक खरा उतारना कितना मुश्किल होता है ये सब जानते हैं।  
हाँ ! ये ज़रूर है कि पिछली सरकार जैसे अपने घोटालों के कारण चर्चा में रहती थी उस तरह के घोटाले पिछले एक साल में सुनने में नहीं आये। ऐसा भी लगता है कि एक एक पायदान चढ़ते हुए हम यहाँ से तो आगे ही निकल जायेंगे। ऐसा कहने या सोचने के कई कारण हैं। 
शपथ ग्रहण के दिन से देश के रुतबे और ताकत का अहसास पडोसी देशों को बताना और ये जताना के बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। विदेशों की यात्राओं का मतलब महज़ सैर - सपाटा नहीं है बल्कि दुनिया की मज़बूत अर्थव्यवस्थाओं का ध्यान देश की तरफ खींचना वैसा ही है जैसे पुराने कारखाने के बारे में , जिसमें अनगिनत बेरोज़गार कारीगर हैं, निवेशकों को बताना। बिना विज्ञापन के तो सरदर्द  की दवा नहीं बिकती तो देश में करोड़ों रुपये का निवेश का तो सवाल ही नहीं उठता। 


वहीं कूटनीति के नज़रिये से देखें तो संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की माँग एक अरसे से उठाई जाती रही है लेकिन बिना व्यावसायिक, आर्थिक और सामरिक तौर पर मज़बूत हुए इस बारे मुंह खोलना बेमानी है। इसी तरह कश्मीर मुद्दे पर विश्व में एक आम राय बनाना भी ज़रूरी है कि ये एक द्विपक्षीय मुद्दा है। दुनिया को ये बताना कि भारत विश्व शांति में विश्वास रखता है और वसुधैव कुटुंबकम की भावना को जताते हुए विश्व शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव भारत के लिए एक मील का पत्थर है। 
रेडिओ पर मन की बात हो या mygov.in वेब पोर्टल सुदूर गावों की जनता से लेकर देश के पढ़े - लिखे जवानों तक सभी की राय जानने की कोशिश करना और सरकारी योजनाओं से उनको अवगत करवाना एक अनोखी पहल है। मोदी जिस भी जगह भाषण देते हैं वहां उनके करिश्माई व्यक्तिव की छाप तो छूटती है ही सुनने वालों में से दो - चार भी उनकी कही बातों पर अमल करने लगे तो धीरे - धीरे ही सही देश में बदलाव तो आएगा।  

0 टिप्पणियाँ: