मंगलवार, 11 अगस्त 2009

ये जो देस है मेरा

१५ अगस्त आने वाला है .....लोगों के लिए छुट्टी का दिन है ,कुछ घूमे जाने वाले हैं तो कुछ पूरा दिन घर में सो कर बिता देंगे .....कुछ लोगों ने प्लान बनाया है कि नई फ़िल्म इसी दिन देखेंगे....मेरे एक परिचित से मैंने एस बारे मैं बात की ....जवाब क्या मिला ...जानना चाहेंगे ?....

--- ...भाई फिर छुट्टी कहाँ मिलेगी ....
--- ....लेकिन अगर आप ये सब काम करोगे तो १५ अगस्त कौन मनायेगा ?????
---...अरे यार ये सब अब एक दिखावा है ......ये ज़िम्मेदारी तो प्रशासन वालों की है वो मना तो रहे हैं..
--- ... और फिर स्कूल वाले हैं ना ....वो मना लेंगे ....और वैसे भी सेक्योरिटी के हिसाब से भी इस दिन घर में ही रहो तो अच्छा है....
----.....हम तो आपको भी कह रहे हैं घर में मस्त रहिये ....

ओफ्फ्फ ....आख़िर हो क्या गया है लोगों को ?क्यों हो गए हैं सब ऐसे ?.....

....एक बहुत ही सीधी सी बात है ...देश आजाद हुआ है उसकी खुश मनानी है....बस । .... ही पैसे खर्च करने है ... दान देना है फिर ऐसी उदासीनता क्यों ?....
कभी कभी तो लगता है की वास्तव में वो दौर ही ऐसा रहा होगा की लोग देश के लिए नींद- चैन ,घर- बार छोड़ कर मर- मिटे इस धरती के लिए ....अगर उन्होंने उस समय आराम करने का सोचा होता ....?क्या वो अपने घरवालों के साथ समय नही बिताना चाहते होंगे ....?जिनकी वजह से हम आज़ाद हैं, उनको याद करने के लिए कुछ घंटे भी नही हैं हमारे पास .....

यही हाल स्कूल के भी हैं .....कुछ स्कूल इस दिन छुट्टी रखते हैं ताकि उस दिन लड्डू बांटने की आफत से बचना पड़े ....कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम ना करवाना पड़े ..... आफत टले
जहाँ १५ अगस्त मानते हैं वहाँ उस दिन बच्चे स्कूल कम आते हैं ....अगले दिन जब बच्चों से पूछा जाता है की बेटा कल आप क्यों नही आए ....तो फिर वही रटा-पिटा जवाब -मैम हमारी मम्मी ने कहा कल स्कूल नही भेजेंगी .... ।
यानि जैसे हम ख़ुद हैं वैसे ही हम अपने बछो को भी बनाते जा रहे हैं .......
आख़िर ये उदासीनता क्यों?...
क्या देश के लिया हमारा इतना भी कर्तव्य नही ...अगर नही ...तो फिर क्यों हम आए दिन रोते हैं अपनी समस्याओं को लेकर ....सरकारी तंत्र की बुराइयों को लेकर ..... भ्रष्टाचार , लालफीताशाही ,आरक्षण, पक्षपात और महंगाई को लेकर क्यों कोसते हैं सरकार को ....यदि देश के प्रति देशवासियों का कोई कर्तव्य नही, तो देश भी किसी का नही ....समाज की दिशा से किसी को मतलब नही .... वोट डालने ...या १५ अगस्त और २६ जनवरी जैसे त्योहारों से किसी का वास्ता नही ....अपनी ओर से कोई योगदान देना तो दूर .....दूसरों को भी भ्रमित करने में माहिर हैं लोग ....... ।
आज भी मुझे याद है मेरी एक अध्यापिका १५ अगस्त और २६ जनवरी के दिन नई साड़ी पहनती थी ....जिस रंग की साड़ी उसी रंग की चूडियाँ ... इस दिन सज-संवर के आना उन्हें खुशी देता था ....उन्ही से मैंने ये सीखा कि ये दिन आत्मिक खुशी का दिन है और इसी मानना हमारा कर्तव्य है .....
ये मेरे निजी विचार हैं क्या आप भी इनसे साम्यता रखते हैं .....क्या कहा .....हाँ .....



.......यानी इस बार आप १५ अगस्त मानाने जा रहे हैं ....हैं ना ....








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