रविवार, 9 अगस्त 2009

भावनाए नही बदलती ..

हमारे माता -पिता दोनों में से कौन हमे ज्यादा प्यार करता है ...ये पता लगाना नामुमकिन है .....प्यार की सीमा बाँधने क लिए अगर माँ को धरती मान लिया जाय तो पिता भी आकाश से कम नही है ....हम धरती को छू सकते हैं उस पर खेल सकते हैं लेकिन आसमान को छू पाना ...उसकी गहराई का पता लगना बहुत मुश्किल है .....


जब हम बच्चे होते हैं तो हमारे लिए 'पापा '...ये शब्द किसी सुपर मैन से कम नही होता .....जो काम हम नही कर सकते वो 'पापा ' कर सकते हैं ....एक फरमाइश करने भर की देर है ....और 'पापा ' उस चीज़ को ले आते हैं ....हमे चोट लग जाए तो गोद में उठाकर दुलारने वाले'पापा'....और जब हमे लगे के हम दुश्मनों से घिर चुके हैं तो उन्हें डराने धमकाने के लिए aएक ही शब्द जुबां पे आता है ............'पापा'


जी ........!कुछ इसी तरह से चल रहा था उस दिन का प्रोग्राम .....जिस दिन फादर्स डे था .... सब कुछ वैसा ही था ...... स्टूडियो ,माइक,हेडफ़ोन, कंसोल और कंप्यूटर ...सब कुछ....पर पता नही क्यों ..... उस दिन मैंने चाहा कि यहाँ आज मेरे साथ पापा होने ही चाहिए ........ ऐसा लग रहा था कि वो अगर स्टूडियो में साथ होते तो ......अचानक गाना बंद हुआ और मुझे एहसास हुआ कि अगला लिंक बोलने का समय गया है। खैर वो प्रोग्राम तो वहीं ख़तम हो गया पर इस के बारे सोचती रही ..... की कैसे समय बीत जाता है पता ही नही चलता जब हम बच्चे होते हैं तो 'पापा'बहुत बड़े लगते हैं .....फिर जब हम और बड़े हो जाते हैं तो 'पापा ' भी बड़े हो जाते है .....लेकिन एक समय ऐसा भी आता है जब हम तो बड़े होते जाते हैं लेकिन पापा ..... बच्चे बन जाते हैं वो हमे हमेशा हौसला देते हैं प्रेरित करते हैं .... पर आगे बढ़ते हुए ....वो तरक्की के साथ ये भी चाहते हैं की हम हमेशा उनके साथ भी रहें ....
इसी को बयान करता हुआ एक इंग्लिश गाना भी है -






Just wanna say ......i love u Papa

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